Friday, March 8, 2013

Mera Zanaza

 मेरा ज़नाजा
 
मेरे खून ए दिल की मेहंदी हाथो में तुम लगाना 
निकले मेरा ज़नाज़ा तुम शहनाइया बजाना 

मैंने तुम्हे दिल दे दिया , तेरे सारे ग़म ले लिया 
तूने मुझको समझा नहीं , मेरे प्यार को रुसवा किया 
अब जाके मैंने जाना तुझको , तुझको है अब माना 
निकले मेरा ज़नाज़ा तुम शहनाइया बजाना 
 
याद है मुझको वो तेरी , जुल्फों के साए हसीन 
मैं भटक के गेंसुओ में, बन रहा था खुशनसीब 
उन हसीन काले बादलों को युहीं तुम लहराना 
निकले मेरा ज़नाज़ा तुम शहनाइया बजाना
 
तुम हो मेरी जान-ऐ-मन , नूर सी ओ गुलबदन 
मैं तो हूँ एक बदनसीब , उजड़ा हुआ एक चमन 
इन बहारों की महफिलों को ऐसे ही तुम सजाना 
निकले मेरा ज़नाज़ा तुम शहनाइया बजाना 
 
तुम रहो खुश जान-ऐ-मन,  यार दिलबर बेरहम 
मैं तो बस एक ख्वाब हूँ, एक अँधेरी रात हूँ
रात गुज़र जाए तो फिर से सपनों को तुम सजाना    
निकले मेरा ज़नाज़ा तुम शहनाइया बजाना
 
अपनी प्रतिक्रिया अवश्य वयक्त करे
राजेश साव

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