सासाराम: एक अनोखा मेला |
पहाड़ी झरना |
सासाराम बिहार के रोहतास जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है यह भारत के प्राचीनतम शहरों में से एक है और अपने पत्थरों के चिप्स के उत्पादन के लिए विख्यात है।
मान्यता के अनुसार रामायण काल में सहस्त्रबाहु यहाँ निवास करता था जिनका संहार परसुराम ने किया था।इस स्थान का नाम इन दो ऐतिहासिक पुरुषो के नामो के मिश्रण से बना है।
माँ तारा चंडी का मंदिर |
वैसे तो सासाराम में कई दर्शनीय स्थल है जैसे शेरशाह का मकबरा, शेरशाह के पिता हसन शाह सूरी का मकबरा जो की सुखा रौज़ा के नाम से मशहूर है और माँ तारा चंडी का मंदिर।
सावन महीने में रक्षा बंधन के ठीक बाद वाले शनिवार और रविवार को एक मेला कैमूर पहाड़ पर लगता है जो आस पास के इलाके में काफी मशहूर है। यहाँ दो जल प्रपात है मंझार कुंड और धुआं कुंड।अनुमान है कि अगर इन जल प्रपातो का सही उपयोग किया जाये तो कम से कम ५० से १०० मेगा वाट की बिजली पैदा हो सकती है।
इस मेले में आस पास के लोग काफी संख्या में आते है अगर आप थोडे Adventurous है तो रात यहाँ पहाड़ पर बिता सकते है। यहाँ जाने के लिए आपको अपने साथ अपना खाना और इधन दोनों ले जाना होगा क्योंकि इस स्थान में सिर्फ मेले के समय ही चहल पहल रहती है बाकी समय लोग यहाँ नहीं जाते है।
तीन दिन के इस मेले का लोग जम कर आनंद उठाते है खाना पीना जम कर चलता है और तीन दिन के लिए लोग अपने सारे ग़म भूल कर खूब मस्ती करते है।इस स्थान पर झरने का ग़ज़ब का दृश्य है झरने के पानी के पीछे गुम्फा है जहां आप बैठ कर आराम फरमा सकते है!!यहाँ आप जो तस्वीर देखा रहे है वो मैंने १९९६ में उतारी थी जब मैं वहाँ गया था।
तो सोचना क्या है जनाब इस बार के सावन पुर्णिमा में अपना बिस्तर बांधिए और घूम आइये "अतुल्य भारत" के इस शानदार मेले से।
रेलवे स्टेशन : सासाराम (सासाराम पूर्व रेलवे के दिल्ली कोलकाता रूट में पडता है)
यहाँ आपको ठहरने के लिए लॉज मिल जायेंगे और मेले के लिए आप लॉज वाले से भी बात कर सकते है वो आपका घुमने का बंदोबस्त कर देंगे। मेले के दरम्यान प्राइवेट ऑटो और ट्रेकर खास तौर पर मेले के लिए चलते है आप चाहे तो स्वयं वहाँ जा सकते है लेकिन मेरा सुझाव है आप अपने साथ वहाँ के किसी मूल वाशिंदे को रखे।
nice sir..you have written very well about sasaram..and also added good photos..appreciated..(y)
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