Tuesday, March 12, 2013

Ladkiya

लडकिया 
*यह लेख सिर्फ व्यंग के लिए लिखा गया है किसी की भावना को ठेस पहुचाने के लिए नहीं अगर किसी को इससे ठेस पहुचती है तो लेखक इसके लिए क्षमाप्राथी है।
 
 
मेरे एक एक मित्र है अभी ताज़ा ताज़ा प्यार में धोखा खाए बैठे है और अपने ग़म को कम करने के लिए देशाटन कर रहे है। मैंने जब पूछना चाहां की भाई माज़रा क्या है तो उन्होंने बात टाल दिया। पास खड़े एक मित्र ने जूमला कसा "लडकिया ऐसे ही होती है , प्याज के जैसे, छिलका उतारते जाओ ख़त्म ही नहीं होती है और प्रत्येक परत पर एक अलग स्वाद और खुशबु या कहे गंध "
मैंने गहन चिंतन किया की आखिर लडकिया क्या है?यह बडा ही सीधा सवाल है लेकिन जवाब बहुत ही टेढा। किसी ने सच ही कहा है "त्रिया चरितर त देवो न जानम" अथार्त जिसे देवता ही न समझ पाए उस नारी को मुझ जैसा "अ नारी क्या समझ पायेगा या बुझा पायेगा, फिर भी मैं कोशिश करूगा।और मैं नारी की जगह लडकियों पर कान्स्ट्रेट करूंगा। 
लडकिया कई तरह की होती है लेकिन मुख्य रूप से तीन किस्म ही पाई जाती है (१) सीधी सादी भोली भाली (२) चालाक चतुर और अपने फन  में माहिर , और (३) बेवक़ूफ़। अब आइये मैं एक एक करके इनके पहचान या  चरित्रों से आप लोगो को आवगत कराऊंगा।
नंबर (१) यानी सीधी सादी भोली भाली ये अमुनम सच्चे और साफ़ दिल की होती है इनमे दिखावा कम और ये थोडा भावुक किस्म की होती है। दिखने में सरल और ये ज्यादा मेकअप वगेरह भी नहीं करती है। जिसे चाहती है उसे सच्चे दिल से चाहती है। इस तरह की लडकिया ज्यादा धोखे खाती है। मेरा ऐसी लडकियों को सुझाव है की वो किसी पर विश्वास करने से पहले उसे अच्छी तरह परख ले। ऐसी चरित्रे प्राय फिल्मो में गंगा , राधा के रूप में और भोजपुरी फिल्मो में परवतिया या फूलमतिया के नाम से मिलती है जो नायक को सच्चे दिल से चाहती है और जब उसे पता चलता है कि नायक किसी और को चाहता है तो अपने महबूब की मोहब्बत की ख़ुशी के लिए अपने प्यार को कुर्बान कर देती है या फिर अपने नायक को बचाने की कोशिश में मारी जाती है। कपडे भी इनके टिपिकल होते है , सलवार कमीज़ या साडी जो कभी कभी खलनायक के हांथो फ़ट या उतर जाती है।
 
नंबर (२) यानी चालाक चतुर और अपने फ़न में माहिर। यह चरित्र सबसे खतरनाक होती है। किसी को भी अपने जाल में फ़साना या फिर अपना काम कैसे निकालना है अच्छी तरह जानती है। देवराज इंद्र के दरबार में मेनका , उर्वसी ,रम्भा नाम की जो अप्सराये थी वो इसी  केटेगरी में आती थी। प्राचीन काल में जो विषकन्याये होती थी वो इसी केटेगरी की होती थी। ऐसी चरित्रे फिल्मो में रोजी , जूली , सूजी या मोना डार्लिंग के रूप में और भोजपुरी फिल्मो में झरेलिया, चमेलिया के रूप में मिलती है जो अक्सर नायक और नायिका के  बीच दिवार बनती है  या खलनायक के साथ मिलकर नायिका या नायक को फसाती है। कपडे की बात है तो इन्हें कपडो से सख्त नफ़रत है फिर भी फॉर्मेलिटी निभाने के लिए लो कट ब्लाउज , माइक्रो स्कर्ट , मिनी स्कर्ट , चुस्त और भड़कीले कपडे पहनती है। लडको में इन्हें पैसे वाले थोडे अय्यास किस्म के लडके पसंद है। अपना काम निकालने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।

नंबर (३) यानी बेवकूफ लड़की। ऐसी लडकियों की तादात थोड़ी ज्यादा है। इन्हें बड़ी आसानी से बरगलाया जा सकता है। दिखने में ये इतनी बेवकूफ नहीं लगाती जितनी होती है। फिल्मो में ऐसी चरित्र सलाम , सुल्ताना या ज्यादातर नायिकाओ की सहिलिये टाइप होती है। भोजपुरी फिल्मो में , धनिया मुनिया  या छमिया के रूप में पायी जाती है जो अक्सर खलनायको के वासना का शिकार होती है , अगर खलनायक अंत में सुधर कर इन्हें अपना लेता है तो ठीक है वर्ना ये आत्महत्या कर लेती है।
और भी प्रकार की लडकिय होती है लेकिन ये तीन किस्म ही ज्यादा तादात में पाई जाती है।अगर आपको कुछ और भी प्रकार मिले तो मुझे सूचित कीजियेगा और देवियों से मेरा ख़ास निवेदन है कि आप भी अपने बारे में बता कर मेरे शोध कार्य को सफल बनाये। 
 

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By राजेश साव 

1 comment:

  1. भाई जी अगर संभव हो तो लड़कों के बारे मे भी लेख प्रकाशित कीजिएगा .

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