Thursday, April 4, 2013

Kolkata To Vaishno Devi on foot !! Amarjit Singh young at 60 !!!


साठ साल के बुड्ढ़े या साठ साल के जवान!!
Amarjit Singh Kolkata to Vaishno Devi by Clcle
Amarjit Singh with Rajesh Shaw
साठ साल की उम्र में जब सभी रिटायर्मेंट और पेंशन की बाते करते है या हरिद्वार जाने की सोचते है वही साठ वर्ष के अमरजीत सिह चौथी बार कोलकाता से जम्मू स्थित वैष्णो देवी जाने की तेयारी में लगे है और वो भी पैदल! अब तक अमरजीत सिंह एक बार कोलकाता से दिल्ली, एक बार कोलकाता से अमृतसर और अमृतसर से कोलकाता और पिछले साल कोलकाता से वैष्णो  देवी की यात्रा अपनी दुपहिया साइकिल पर कर चुके है।

सन १९९९ में पहली बार अमरजीत सिंह कोलकाता से दिल्ली साइकिल पर गए तब उनकी उम्र ४९  वर्ष की थी। कोलकाता से दिल्ली जाने में उन्हें १४  दिन लगे थे। दूसरी दफा सन २००६ में वो कोलकाता से अमृतसर सवर्णमंदिर गए गए इस बार वापसी भी साइकिल पर ही था और आने जाने में उन्हें १६ दिन कर के लगे यानी कुल ३२ दिन लगे। सन २०१२ में तीसरी दफा वो कोलकाता से जम्मू के लिए निकले इस बार भी उनका कोलकाता वापसी का विचार साइकिल पर ही था लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें यह मुहीम पंजाब में ही ख़त्म कर देनी पडी क्योंकि उसी दरमियाँ उनके छोटे पुत्र का देहांत हो गया आनन् फानम में वो कोलकाता लौट आये पंजाब से।

अमरजीत सिंह अपनी यात्रा की शुरुआत हमेशा २८ अक्टूबर को ही करते है और इसका कारण भी बडा मजेदार है वो बताते है "दरअसल २८ अक्टूबर मेरी शादी की सालगिरह है और में इसे इसी तरह मनाता हूँ!"

और इस बार फिर से उन्होंने अपने कमर कस ली है कोलकता से जम्मू वैष्णो देवी की, वो भी पैदल !! मैंने जब उनसे पूछा आप रोज़ कितना चलोगे? तो उनका कहना था " रोज़ कम से कम ३० किलो मीटर चलूँगा और १८०० किलोमीटर की दुरी करीब दो महीने में पूरी करूंगा" 
क्या इस बार भी २८ अक्टूबर से शुरुआत करेंगे? मैंने पूछा। "नहीं इस बार मैं १५ अगस्त को शुरुआत करना चाहता हूँ, अगर प्रायोजक या फिर पैसे का जुगाड़ इस दरम्यान हो जाए तो"

अपने देश और सिख समाज के लिए अमरजीत सिंह कुछ ऐसा करना चाहते है जिससे देश और सिख समाज में उनका नाम हो। 

अमरजीत सिंह रोजाना दो घंटे साइकिल चलाने का अभ्यास करते है। पेशे से लकड़ी मिस्त्री अमरजीत सिंह पर अपने शगल को ले एक जूनून सवार है और उनके इस जूनून में उनका परिवार जिनमे उनकी पत्नी बलजीत कौर और बडा पुत्र हरिन्दर सिंह भी साथ देता है। अपने इस बार के उद्देश्य के लिए अमरजीत सिंह ने कमर तो कस ली है लेकिन इस महंगाई और रोज़गार न  होने की वजह ने  उनके इस मुहीम में बाधा भी लगाईं हुई है। अमरजीत सिंह इसके लिए प्रायोजक की तलाश में भी है अगर कोई उनके इस उद्देश्य में मदद कर दे तो उनकी काफी मदद होगी उनके इस पैदल यात्रा के लिए कम से कम बीस से तीस हज़ार रुपये की ज़रुरत पड़ेगी और इसके लिए वो लोगो के पास जा रहे है और मदद मांग रहे है।

अपने अब तक के इस सफरनामे में अमरजीत सिंह को कोई मुसीबत का सामना करना पड़ा है या कोई दुर्घटना हुई है तो अमरजीत सिंह मुस्कुराते हुए कहते है "अभी तक तो नहीं हुयी, हाँ पहली बार जब में दिल्ली जा रहा था तब बिहार के एक गाँव से गुज़रते समय मैं पोस्टर पढते जा रहा  था और सामने बड सा गड्ढा था उसमे मेरी साइकिल गिर गयी साइकिल का चक्का मुड गया था और हाँथ में खरोचे आयी थी और कुछ नहीं और वैसे भी रास्ते में चलते हुए हलकी फुलकी खरोचे तो लगती ही रहती है"

अपने पिता के सबसे बडे पुत्र अमरजीत सिंह के एक भाई और छह बहने है। शुरूआती दिनों में इन्होने सेल्स के कामो से लेकर पिओन  तक का काम किया लेकिन कोई काम इन्हें रास नहीं आया। आज भी ये अपने मन मुताबिक काम की तलाश में है ताकि ये अपना शगल अपने पैसे से पूरी कर सके।लेकिन इस उम्र में कोई इन्हें काम देना नहीं चाहता है और अगर कुछ मीलता है तो वो इनकी पसंद का नहीं होता है। अमरजीत सिंह के लिए हम प्राथर्ना  कर सकते है कि ये अपनी कोशिश में कामयाब हो।

इस लेख के द्वारा हिंदी मस्तिया आप सभी से अनुरोध करता है, अगर आप अमरजीत सिंह जी के इस मुहीम में उनकी आर्थिक सहायता करना चाहते है या उन्हें प्रायोजित करना चाहते है तो कृपया हमसे संपर्क करे hindimastiya@gmail.com आप चाहे तो अनुदान की राशि का चेक या डीडी नीचे दिए पते पर प्रेषित कर सकते है।चेक या डीडी "अमरजीत सिंह" के नाम का बनवाए।*(अनुदान की न्यूनतम राशि ५००/ रुपए है)   

हिंदी मस्तिया 
C/O राजेश साव 
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कोलकाता ७००००७
पश्चिम बंगाल, भारत 

या आप 
  के द्वारा भी आप अपना अनुदान उन्हें भेज सकते है Paypal Email shawraj@rediffmail.com  
  

1 comment:

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