दोस्तों आज कुछ तूफानी सोचते है आज मैं सारा दिन बिलकुल खाली था कुछ करना था नहीं तो मैं सारा दिन बस टीवी देखता रहा कार्यक्रम के बीच में विज्ञापन देख देख मैं बोर होते होते अचानक सोचने लगा कि १० सेकंड के विज्ञापन में सारा सन्देश देना होता है यह काफी चुनौती भरा काम है विज्ञापन लेखको के लिए तो मैंने भी एक मजेदार काम ले लिया कि अगर हमारे पुराने मेलोड्रामा सिनेमा में बडे बडे संवाद के जगह अगर अगर ये छोटे छोटे विज्ञापन डाल दे तो कैसा होगा मुलाहजा फरमाइए
लड़की (हीरोइन की सहेली) , खलनायक से : मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ
खलनायक : बकवास बंद करो, जानेमन तुम मेरे लिए सिर्फ निरमा साबुन हो (लगाया , धोया , और हो गया!!)
नायक नायिका से : सुनीता, हमने जो किया वो पाप नहीं है हमारा सच्चा प्यार है।
नायिका " रवि, मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ और तुम्हारे प्यार के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ मैं आज ही अपने मम्मी डैडी से कह दूंगी "सर्फ एक्सेल हैं ना" (कुछ अच्छा होने से दाग लगता है तो दाग अच्छे है!)
खलनायक अपने टुच्चे साथियों के साथ कॉलेज में नायिका को छेडने की कोशिश करता है लेकिन नायक बीच में आकर नायिका को ले जाता है , खलनायक अपने साथियो से कहता ही :इसका तो मैं टाटा स्काई (इसको लगा डाला तो लाइफ झिंगालाला) कर के रहूंगा।
फिल्म शोले ठाकुर का खबरी खबर लेकर आता है गब्बर पास ही कही आया हुआ है यही सही वक़्त है उस पर हमला करने का
ठाकुर : लोहा गरम है nike (नाइके just do it).
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