Monday, October 19, 2015

दोस्तों आज कुछ तूफानी सोचते है आज मैं सारा दिन बिलकुल खाली था कुछ करना था नहीं तो मैं सारा दिन बस टीवी  देखता रहा कार्यक्रम के बीच में विज्ञापन देख देख मैं बोर होते होते अचानक सोचने लगा कि १० सेकंड के विज्ञापन में सारा सन्देश देना होता है यह काफी चुनौती भरा काम है विज्ञापन लेखको के लिए तो मैंने भी एक मजेदार काम ले लिया कि अगर हमारे पुराने मेलोड्रामा सिनेमा में बडे बडे संवाद के जगह अगर अगर ये छोटे छोटे विज्ञापन डाल  दे तो कैसा होगा मुलाहजा फरमाइए

लड़की (हीरोइन की सहेली) , खलनायक से : मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ
खलनायक : बकवास बंद करो, जानेमन तुम मेरे लिए सिर्फ निरमा साबुन हो (लगाया , धोया , और हो गया!!)

नायक नायिका से : सुनीता, हमने जो किया वो पाप नहीं है हमारा सच्चा प्यार है।
नायिका " रवि, मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ और तुम्हारे प्यार के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ मैं आज ही अपने मम्मी डैडी से कह दूंगी "सर्फ एक्सेल हैं ना" (कुछ अच्छा होने से दाग लगता है तो दाग अच्छे है!)

खलनायक अपने टुच्चे साथियों के साथ कॉलेज में नायिका को छेडने की कोशिश करता है लेकिन नायक बीच में आकर नायिका को ले जाता है , खलनायक अपने साथियो से कहता ही :इसका तो मैं टाटा स्काई (इसको लगा डाला तो लाइफ झिंगालाला) कर के रहूंगा।

फिल्म शोले ठाकुर का खबरी खबर लेकर आता है गब्बर पास ही कही आया हुआ है यही सही वक़्त है उस पर हमला करने का
ठाकुर : लोहा गरम है nike (नाइके just do it).




  

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