Thursday, March 7, 2013

Dosti



मुझसे एक शख्स ने पूछा कि बता सकते हो दोस्ती क्या है ?
कैसा वह दिखता है? या कैसी वो दिखती है?? कैसा वोह होता है???
क्या खाता है? क्या पीता है??क्या पहनता है वोह??? 
मैं हँसा और उसकी बेव्कुफियत पर मन ही मन मुस्कुराया और कहा, 
हाँ मेरे बहुत करीब है मैं उसे देख सकता हूँ, 
उससे ज्यादा हसीन कोई हो नहीं सकता, जो मेरे दिल में है मेरे आत्मा में। 
सच्ची दोस्ती उस हसींन महबूबा के समान है जिसके आने की तमन्ना में ज़िन्दगी गुज़ार सकते हो, 
यह उस शराब के समान है जो जितना पुराना हो उतना ही अपने शबाब पर आता है ,
खाने के लिए ज़रा प्यार मांगता है, पीने के लिए वफ़ा और सच्चा ईमान मांगता है, 
पहनने के लिए विश्वास और ओढ़ने के लिए त्याग मांगता है। 
मेरे इस विवरण से वोह ज़रा अवाक हो गया , खुद को संभाला और मुझसे बेवाक हो गया। 
क्या तुम मुझे उस हसीं दिलनसीन को मिला सकते हो? 
क्या तुम मेरा यह काम करा सकते हो ?? 
मैंने कहा, दोस्त तुम्हारी यह ख्वाहिश मैं अभी पूरी करा सकता हूँ 
तुम्हे उस हसीं से अभी मिलवा सकता हूँ लेकिन मेरी कुछ शर्त है!! 
मेरी हर शर्त को मानने वोह तैयार हो गया , उस हसीं के दीदार को वोह बेकरार हो गया।  
मैंने सामने कृष्ण और सुदामा , राम और हनुमान के तस्वीर को दिखाया और कहा, 
दोस्त यही है दोस्ती जो सच्ची हो तो युगों चलती है , झूठी हो तो पल में मरती है ,
इतिहास के पन्ने में न सही लेकिन दिल के पन्ने में ज़रूर उतरे, 
ऐसी दोस्ती करना जो आत्मा पे असर करे और 
जो दोनों के पेमाने पर खरी उतरे , 
जो दोनों के पेमाने पर खरी उतरे
  

अपनी प्रतिक्रिया अवश्य वयक्त करे
राजेश साव

2 comments:

  1. Loved it
    The line about Krishna and Sudama, Ram and Hanuman really touched my heart as it speaks about timeless friendship! :)

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  2. Thanks a lot . I wrote this poem in 2000 and I got this opportunity to publish it after creating my blog. Thanks again.

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